
‘ हाथी -जंगल का नाई ‘
हाथी जी ने सूंड हिलाई,
बोला, में जंगल का नाई|
अच्छी करूं हजामत सबकी,
फिर तो करो मौज और मस्ती|
सबसे पहले भालू आया,
उसने अपना सिर मुंडवाया|
बोला हमको पसंद ना आया,
सब ने यह आवाज उठाई|
तुम से बुरा कोई नहीं भाई,
तुम तो खुद गंजे हो भाई|
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‘ तितली-रंग बिरंगे पंखों वाली ‘
रंग बिरंगे पंखों वाली,
तितली रानी बड़ी सियानी|
कभी इधर को कभी उधर को,
नाचे देखो वह मस्तानी|
फूल फूल पर वह मंडराती,
सबकी जाने कारस्तानी|
बच्चे पीछे-पीछे भागे,
उड़-उड़ कर वह बने महारानी|
अब पकड़ी अब पकड़ी तितली,
शोर करे बच्चों की टोली|
चकमा देकर भट्ट उड़ जाती,
देखो उसकी अजब ठिठोलि||
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‘ बंदर-नाच दिखाता ‘
देखो एक मदारी आया,
गली-गली में शोर मचाया।
डम-डम,डम-डम डमरु बजता,
बंदर अपना नाच दिखाता।
दे-दे ताली बच्चे हंसते,
पैसों से उसकी झोली भरते ।
बंदर वाला खुश हो जाता,
झोली लेकर घर को जाता।।
‘टीचर जी’
टीचर जी ने पाठ पढ़ाया
कंप्यूटर हमको सीख लाया
रानू शानू दीपक भैया
मैडम हमको लगती मैया
देखो प्यार से हमें पढ़ाती
भाषाओं का ज्ञान कराती
ना भूले हम उपकार कभी हम
जीवन सफल बनाएं हम सब||