

प्रिय मित्रों,जैसा कि हम सब जानते हैं इस समय हम सब कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहे हैं लेकिन इन सबके बावजूद त्योहारों का एक अपना मौसम है विशाल रूप में ना सही सूक्ष्म रूप में तो मना सकते हैं ताकि हमारी परंपराएं रीति रिवाज हमेशा बनी रहे लेकिन उससे पहले हमें अपने अपने अपने स्वास्थ्य का भी ख्याल रखना है अगर हम स्वस्थ हैं तो कोरोना जैसी महामारी भी हमारी आस्था को डिगा नहीं सकती||
सावन माह से त्योहार प्रारंभ हो चुके हैं 3 अगस्त 2020 को हम रक्षाबंधन का त्योहार मनाने जा रहे हैं लेकिन उससे पहले मेरा मन हुआ कि कि इस परंपरा को बनाए रखने के लिए हमें सूक्ष्म रूप में इस त्यौहार को मनाना है रक्षाबंधन भाई बहन के अटूट पवित्र प्रेम के अटूट पवित्र प्रेम बंधन का त्यौहार है|
मित्रों आज मैं अपने सुंदर शब्दों के साथ रक्षाबंधन पर तीन कविताएं शेयर करने जा रही हूं|
आशा है कि यह कविताएं जब भी आप किसी के सामने प्रस्तुत करेंगे या शेयर करेंगे या गाकर सुनाएंगे उन्हें भी अवश्य पसंद आएंगी
रेशम का धागा
रेशम के एक धागे ने,
कैसी प्रीत निभाई है
खुद को बांधा प्रेम जाल में,
प्रीत की रीत चलाई है
चाहे कितनी दूर हो बहना,
पर भाई के घर आती है
रोली चावल माथ लगाती,
खूब मिठाई खिलाती है
लंबी उम्र हो मेरे भाई की,
भगवन् से वह दुआ दुआ करें
बांध कलाई हाथ यह कहती||
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जब रक्षाबंधन आता है
बहनों का मन हर्षाता है
राखी बांध कलाई में
रोम रोम मुस्काता है
बहन को रक्षा का वचन वह देता
आशीर्वाद वह पाता है
ऐसा अनूठा प्रेम देखकर
मां का मन गदगद हो जाता है
फूलों फलो हमेशा भैया
बहन वलैया लेती है
रोली चावल से थाल सजाकर
खूब मिठाई खिलाती है
अगले बरस फिर आऊंगी
बांध कलाई जाऊंगी जाऊंगी
तुम भी भूल न जाना मुझको
मैं अपना वचन निभाऊंगी||
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बहना आई राखी लाई
दोनों ने मिलकर रक्षाबंधन मनाई
सावन की बूंदे करें अठखेलियां
भैया की सज रही राखी से कलाइयां
बुआ बहना मिलकर मां के घर आई
सब ने मिलकर खुशियां मनाई
नए पकवानों की भीनी सी खुशबू
मिलकर सब ने कचोरिया खाई
दूर-दूर रहने वाले एक हो गए सब
भैया की जेबे सबने खाली करवाई
उपहार मिठाई दिख रहे चहुं ओर
एक दूसरे को सब दे रहे बधाई||
मित्रों मेरी कविताएं आप सभी को अवश्य पसंद आई होगी कृपया अपने कमेंट हमसे शेयर जरूर करें||