
माँ पर कविता | poem on mother
” मां तो बस मां होती है” मां तो बस मां होती है, मां तो बस मां होती है। कभी डांटती थी, कभी फटकारती थी , कभी आंचल में छुपा कर दुलारती थी, क्योंकि- मां तो बस मां होती है, मां तो बस मां होती है। सुबह से लेकर…
Feel the fact that you are enough
” मां तो बस मां होती है” मां तो बस मां होती है, मां तो बस मां होती है। कभी डांटती थी, कभी फटकारती थी , कभी आंचल में छुपा कर दुलारती थी, क्योंकि- मां तो बस मां होती है, मां तो बस मां होती है। सुबह से लेकर…
माँ – ममता का आधार मेरे दिल की बगिया में खुशियों की बहार आई है, मुद्दतों बाद आज मेरी मां मेरे घर आई है… उसके आते ही मुझ में बचपना आ गया उसकी ममता का घेरा मेरे बदन पर छा गया वह भी मां थी आज मैं भी मां हूं बस इसी बात का हौसला अफजाई है मेरे दिल की बगिया…
कविता-सोशल डिस्टेंस बुरे वक्त की मार झेलना हम सबकी मजबूरी है, घर में रहना है सबको सोशल डिस्टेंस जरूरी है। महामारी के बादल है यह कुछ दिन में छठ जाएंगे, जैसे पहले मिलते थे फिर वैसे ही मिल जाएंगे , भय आतंक ना रखो दिलों में खेलो खेल जरूरी है , घर में रहना है…
फिर से बैरी देश के फिर से बैरी देश के, रही हमें ललकार चुन-चुन कर मारो इन्हें, हो जो भी गद्दार उठो देश के सैनिकों ! मां की तुम्हे पुकार आज शत्रु के रक्त से, हो मां का श्रंगार पाक- इरादे सैनिकों, हो कितने भी क्रूर ले बंदूकें हाथ में,कर दो चकनाचूर आतंक मचा…
‘बारिश’ आज मौसम कितना खुशगवार हो गया, खत्म सभी का इंतजार हो गया। बारिश की बूँदें कुछ पड़ी इस तरह, लगा आसमां को जमीं से प्यार हो गया।। *************************************************************************** मैं रहूं ना रहूं तू हमेशा रहे इस जगत में तेरा नाम रोशन रहे काम ऐसा करो दुनिया याद करें मुश्किलों में भी तू परेशान ना रहे||
कौन है अपना कौन पराया, किसको नजरों में तोलूं सभी एक से दुनिया, वाले मैं क्या दुनिया से बोलूं भोजी सांसे, जख्म भी गहरे, एक उदासी चेहरे पर एक वियोगिन सी जीवन में, भेद जिया के क्या खोलूं यादों के पंछी ने आकर, ऐसी गजल सुनाई क्या? सुध- बुध खो बैठी मैं ऐसी, संग किसी के भी होलूं बदल गए क्या लोग जहां के, कहां मुरव्वत लोगों में छूट गई…
हिन्दी दिवस हिंदी है दिलों का द्वार छिपे हैं अनेकों सार सबके मनों को देखो यह हर्षाती है| स्वर व्यंजनों का मेल सरल नहीं है खेल दुनिया में देखो कैसा नाम कमाती है| जुबां पर हो कोई बोली हिंदी दिलों की बोली भारत वासियों से संदेशा यही पाती है| हिंदी ना जाने जात पात ना कोई मजहब भेदभाव हिंदुस्तान की भाषा हिंदी कहाती है|…
वृक्ष लगाओ – जीवन बचाओ जन-जन की अब यही पुकार, वृक्ष लगाओ हर नर नार। वृक्षों से हरियाली होगी, हर घर में खुशहाली होगी। धरती हरी भरी दिखेगी, खुशबू से बगिया महकेगी। वृक्ष हमें देते हैं सब कुछ, रखते हमें प्रदूषण से मुक्त। काट इन्हें ना विष फैलाओ, वातावरण को शुद्ध बनाओ। इनसे ही हम सब कुछ पाते, वर्ना सांसें भी ना ले पाते। वृक्षों से मिलता ऑक्सीजन, इनके बिना असंभव…
।। दोहा।। अंगना-अंगना फैल गई सोने जैसी धूप। शाम वधू सी सज गई धर के रूप अनूप।। दिशा-दिशा में छा रहा, यूं मदमस्त विलास। रंगो ने महका दिया, मस्ती का उल्लास।। गांव गली में बज रहे, देखो ढोल मृदंग।। चढ़ने लगे हैं भाई, अब होली के रंग।। खेतों में सरसों खिली, करने लगी किलोल। अंग अंग में…
“होली-अपनों की मनुहार, होली की बौछार ‘ हसरतों के दिये जला तो लो। खफा हैं हमसे उन्हें मना तो लो।। हमने चाहा है उनको शिद्दत से। एक बार चाहे आज मां तो लो।। अलमस्त निगाहें तुम पर उठती हैं, उनसे दामन को बचा तो लो।। वक्त ने जख्म दिए न जाने कितने। रिसते ज़ख्मों को कुछ दवा तो दो। नदी, ख्वाइश का रुख एक ही है। पूरी हो जाए ऐसा…