
फिर से बैरी देश के
फिर से बैरी देश के, रही हमें ललकार
चुन-चुन कर मारो इन्हें, हो जो भी गद्दार
उठो देश के सैनिकों ! मां की तुम्हे पुकार
आज शत्रु के रक्त से, हो मां का श्रंगार
पाक- इरादे सैनिकों, हो कितने भी क्रूर
ले बंदूकें हाथ में,कर दो चकनाचूर
आतंक मचा है जिस तरह, भर- भर कर हुंकार
उठा ना पाए शीश फिर, ऐसा करो प्रहार
बहुत हो चुका धैर्य अब,करो शत्रु संहार
दो के बदले काटकर, लाओ शीश हजार
व्यर्थ ना जाए देश के ,वीरों का बलिदान
मिटा दीजिए धरा से, कैसा पाकिस्तान
रहे सलामत देश के ,अपने वीर जवान
है इनसे ही आज तक, भारत मां की शान||
************************************************************************************************
क्यों मरते हो बेवफा सनम के लिए
2 गज जमीन नहीं मिलेगी दफन के लिए
मरना है तो मरो देश ए वतन के लिए
हसीनाएं भी अपना दुपट्टा उतार देंगी
तेरे कफ़न के लिए||
***************************************************************************
जब कभी मुसीबत आती है
मन को विचलित कर जाती है
जो वीर नहीं घबराते हैं
हर संकट से टल जाते हैं
जो धैर्य धारण करते हैं
वह जग में नाम कमाते हैं
पक्षी को देख मनोज हंसता
ना करे कोई उसकी क्षमता
हौसलों को रखो यदि बुलंद
कठिनाइयों के कट जाए बंद
यह सोच जो मन में रखते हैं
वह ऊंचाइयों को छू लेते हैं
करने की मन ने जब ठानी है
दुर्गम दरें पर सड़क बनानी है
अमावस की राते काली है
पुन: भोर किरण की लाली है
हिम्मत जो नहीं दिखाते हैं
वह गर्त पतन में जाते हैं