
‘बेटियां’
ओस की एक बूंद सी होती है बेटियां
स्पर्श खुरदरा हो तो रोती हैं बेटियां
रोशन करेगा बेटा एक कूल तो
दो-दो कुलों की लाज होती है बेटियां
कोई नहीं होता एक दूसरे से कम
हीरा है अगर बेटा तो मोती है बेटियां
कांटो पर खुद चलकर भी राहों में फूल बोती हैं बेटियां
विधि का विधान है यही है दुनिया की रस्म
मुट्ठी में भरी नीर सी होती है बेटियां
संसार ने यह कैसी रीति है बनाई
अपनी होते हुए भी पराई होती हैं बेटियां||